दोस्तों आज हम आपको कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में बताएंगे और वह भी कुछ ही शब्दों में। जैसे की हम सभी जानते हैं, कबीर दास जी सबसे महान कवी हुआ करते थे। जिनका जन्म 1455 में एक ब्राह्मण के घर में हुआ था। लेकिन बदकिस्मती से उनकी मां ब्राह्मण ने उन्हें लहरतारा ताल के पास फेक दिया था। जिसके बाद कबीर दास जी को वहां से नीरू नाम के जुलाहे ने उनको उठा कर अपने घर ले आये। जिसके बाद नीरू जुलाहे ने ही उनका पालन पोषण किया था।
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संत कबीर दास जी भक्ति काल की एक महत्वपूर्ण कवि है। इनका जन्म सन 1455 ईसवी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लहरतारा नामक स्थान में हुआ था। कबीर दास का पालन पोषण जुलाहा दांपत्य नीरू और नीमा ने किया। कबीर का विवाह लोही नामक महिला से हुआ। जिससे उन्हें कमाल एवं कमाली के रूप में दो पुत्र एवं पुत्री पैदा हुई। कबीर दास वैष्णव संत आचार्य रामानंद को अपना गुरु बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने कबीरदास शिष्य बनाने से मना कर दिया। फिर कबीरदास अपने मन ही मन यह सोचते रहते थे।
- कबीर दास जी का जन्म – 1455
- कबीर दास जी की मृत्यु – 1528
कबीर दास का जीवन परिचय
कि स्वामी रामानंद को हर कीमत पर अपना गुरु बना लूंगा। इसके लिए कबीर के मन में एक विचार आया कि स्वामी रामानंद जी सुबह 4:00 बजे गंगा स्नान के लिए जाते हैं। तो मैं भी उनके पहले जाकर गंगा किनारे बनी सीढ़ियों पर बैठ जाऊंगा और उन्होंने ऐसा ही किया एक दिन सुबह जल्दी उठ गए और यह गंगा घाट की सीढ़ियों पर लेट गए, रामानंद गंगा स्नान करने के लिए सीढ़ियों से उतरी रहे थे।
कि उनका पैर उनके शरीर पर गया और उनके मुख से तत्काल राम राम शब्द निकल पड़ा राम शब्द को कबीर ने दीक्षा मंत्र मान लिया और रामानंद जी को अपना गुरु स्वीकार किया। कबीरदास जीवन के आखिरी समय में घर चले आए और अब से लगभग 500 साल पहले ही उनकी 1528 में मृत्यु हो गई थी।
Kabir das ka jivan parichay
कहा जाता है। कि उनकी मृत्यु के बाद लोगों द्वारा काफी हंगामा किया गया था। कुछ लोगों ने कहा था, कि वह हिंदू हैं। तो उनका अंतिम संस्कार हिंदू तरीके से किया जाएगा और वही कुछ और मुस्लिम लोग कह रहे थे। कि वह मुस्लिम हैं और उनका अंतिम संस्कार मुस्लिम तौर तरीके से किया जाएगा अंत में जो कबीर दास जी के ऊपर चादर डाली गई।
तो सब लोग बातों में लगे हुए थे। तो अचानक हवा से उनके ऊपर से चादर उठ गई और सभी ने देखा कि वहां पर कबीर दास जी तो नहीं है। लेकिन फूलों का ढेर लगा हुआ है। जिसके बाद हिंदू और मुस्लिम लोगों ने वहां से कुछ-कुछ फूल उठाये और सभी लोग अपने अपने घर ले गए।
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FAQ
Kabir का जन्म कब और कहां हुआ था?
कबीर दास जी का जन्म 1455 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लहरतारा नामक स्थान में हुआ था।
कबीर दास की मृत्यु कब हुई?
कबीर दास की मृत्यु 1528 इसवी में हुई थी।
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको कबीर दास के जीवन परिचय को काफी कम शब्दों में बताया है। और हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है, हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगी होगी। धन्यवाद.